शराब माफिया का भी हो रहा है विकास

नोएडा: उत्तर प्रदेश में सबसे हाईटैक कहे जाने वाले शहर गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) की बात करें तो दिल्ली और हरियाणा की सीमा से सटे इस हाईटैक शहर में व्यापारियों से अधिक पुलिस और उसके साथ-साथ शराब माफिया भी उतना ही विकास कर रहे हैं जितना इस शहर का विकास हो रहा है। नॉएडा और ग्रेटर नोएडा में तक़रीबन २००० पेटी देशी शराब की प्रति दिन की खपत होती है इसका कारण है कि दिल्ली और हरियाणा में शराब का सस्ता होना।
जब हम इसकी पड़ताल पर निकले तो, सोने के महल में रहने वाले वाले लंका पति रावण की जन्म स्थली कहे जाने वाले इलाके बिसरख़ थाना क्षेत्र में पहुँच गये, वही के सूत्रों की माने तो इस अकेले थाना क्षेत्र में 100 से अधिक अवैध देशी शराब के अड्डे खुले आम चल रहे हैं और वो भी उत्तर प्रदेश की मित्र पुलिस की मिली भगत से, यह सुनते ही जैसे पाँव के नीचे से जमीन ही निकल गयी और तो और जब हमने जानने की कोशिश की तो पता चला की रोजाना ट्रकों में भरके हरियाणा से देशी शराब दिल्ली के कालिंद्री कुंज के रास्ते से नोएडा में आती है और फिर एक माफिया की जगह पर पूरा ट्रक उतर जाता है फिर वहां से छोटी – छोटी दुकानों ( शराब माफियों की भाषा में अड्डी ) पर दो , तीन , चार पेटी भेज दी जाती हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार क्रेजी रोमियो और इम्पैक्ट नाम की देशी शराब नोएडा और ग्रेटर नोएडा के उन इलाकों में खुले आम बिकती है जहाँ खास कर बड़ी-बड़ी, ऊँची-ऊँची बिल्डिंगों का निर्माण कार्य चल रहा है वो इसलिये क्यूंकि इसका प्रयोग (या यूँ कहें ग्राहक) मजदूर होते हैं उन्हीं मजदूरों में से एक आदमीं इन शराब माफियाओं का एजेन्ट होता है जो 10,000 से 15,000 रुपया महीने की तनख्वा पर काम करता है | इस बिसरख इलाके के छोटे छोटे गाँवों में, शराब माफिया छोटी मिलक में, राकेश भाटी, राज नागर, रोजा, याकूबपुर की बिहारी बाजार में और रोजा गाँव में शाहिब और उसकी पत्नी शबाना , पतवाड़ी में बब्लू भाटी, इटैड़ा में मदन पाल व उसका साला राहुल और पत्नी , हरेन्द्र भाटी बिसरख में, बादामी देवी स्कूल के पास बाजार में, हैबतपुर बाजार, तिगड़ी बाजार में नाले के पास, पतवाड़ी की अड्डी वेदन की है ये इनके बड़े और प्रमुख अड्डे हैं इसके अलावा एक एक शराब माफियाओं के 10 से 12 इसी तरह के अड्डे चल रहे हैं |

जब कोई अप्रिय घटना हो जाती है या फिर पुलिस के आल्हा अफसर का अत्यधिक दवाब होता है तो ये शराब माफिया हर एक अड्डी से एक एक आदमी शराब सहित उस इलाके के चौकी इंचार्ज के पास लाते हैं और फिर उस व्यक्ति को पुलिस अपना गुड़ वर्क बताते हुये मामूली धाराओं में जेल भेज देती हैं और वो व्यक्ति दो से तीन दिनों में जेल से बहार आ जाता है और वो व्यक्ति फिर से अपने शराब के कारोबार में लग जाता है चूँकि इस पूरी क़ानूनी प्रक्रिया में तकरीवन 4,000 हजार रुपया का खर्चा आता है जो बड़े शराब माफियाओं के लिये मामूली रकम होती है |
नीरज महेरे, नोएडा से
loading...