बायोडिग्रेडेबल बोतल में पानी पिलाएगा आईआरसीटीसी

दो अक्टूबर से सिगंल यूज प्लास्टिक पर बैन लग चुका है। गोरखपुर जंक्शन पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी है। पैसेंजर्स को परेशानी न हो इसके लिए फिलहाल वॉटर बॉटल पर पाबंदी नहीं लगाई गई है। मगर जल्द ही यह नुकसान करने वाली पानी की बॉटल भी स्टेशन पर नजर नहीं आएगी। प्लास्टिक बॉटल के इस्तेमाल को रोकने के लिए इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म (आईआरसीटीसी) ने पहल की है। अब रेलवे पैसेंजर्स को बायो डिग्रेडेबल बॉटल में रेल नीर मुहैया कराने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसकी पहल भी हो चुकी है। इसकी शुरुआत लखनऊ से नई दिल्ली के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस में हो भी चुकी है। सबकुछ ठीक रहा और जिम्मेदारों को कामयाबी मिली, तो देश के सभी स्टेशन और रेलवे ट्रेंस में बायो डिग्रेडेबल बॉटल में रेल नीर मिलेगा।
होती है बड़ी परेशानी
पैसेंजर्स पानी पीने के बाद बोतलों को बोगियों में छोड़ देते हैं या प्लेटफार्मो पर ही फेंक देते हैं। अवैध वेंडर इन बोतलों में फिर से पानी भरकर पैसेंजर्स को बेचते हैं। गोरखपुर के प्लेटफॉर्म पांच से आठ तक यह धंधा जोरों पर है। अन्य स्टेशनों की भी यही स्थिति है। इसके अलावा कचरा उठाने वाले इन बोतलों के लिए रेल लाइनों पर दौड़ते रहते हैं। गंदगी तो फैलती ही है, स्टेशन पर संदिग्ध लोगों के घुसने की आशंका बनी रहती है। यही नहीं प्लास्टिक की बोतलों से नालियां भी चोक होती रहती हैं। बारिश के वक्त हर पल जल जमाव की आशंका बनी रहती है। अगर बॉटल का टाइमली और प्रॉपर डिस्पोजल हो जाएगा, तो इन चीजों की संभावना भी कम हो जाएगी। बायोडिग्रेडेबल होने की वजह से यह समस्या कम हो जाएगी और अगर कहीं बॉटल फेंक भी दी गई है तो वह वक्त बीतने के साथ ही ऑटोमेटिक डिग्रेड हो जाएगी।
पॉलीथिन फ्री कैंपस मुहिम
रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन ने एनवायर्नमेंट को बचाने के लिए पॉलीथिन फ्री कैंपस की मुहिम छेड़ी है। इसको देखते हुए स्टेशन कैंपस और चलती ट्रेंस में सिंगल यूज वाली पॉलीथिन पर बैन किया गया है। नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के साथ ही उनसे जुर्माना भी वसूल किया जाएगा। एनई रेलवे के सभी डिवीजन में इसे लागू कर दिया गया है। जंक्शन के साथ ही चलती ट्रेंस में भी सिंगल यूज वाली पॉलीथिन पर रोक रहेगी। प्लास्टिक के साथ ही खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले थर्माकोल के प्लेट, ग्लास और सामान पर भी बैन लगाया गया है।
चीयर्स डेस्क