पानी को मूल अधिकार घोषित करें- पी साईनाथ

पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के फाउंडर एडिटर पी साईनाथ ने कहा कि आज देश और दुनिया में जो जल संकट है यह सिर्फ प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि मानव द्वारा खड़ा किया गया संकट है। उन्होंने कहा, ‘लोग कहते हैं कि पानी के लिए युद्ध होगा लेकिन मेरा मानना है कि दो हजार साल से पानी के लिए संघर्ष होता रहा है। सदियों से पानी का बंटवारा एक समान नहीं रहा है। यह संघर्ष का मूल कारण है। उन्होंने कहा कि पानी के बंटवारे में भी जातिवाद है। आप प्राचीन समय से ही देख सकते हैं कि पानी पर अगड़ी जातियां सबसे पहले अपना हक जताती रही हैं। दलित लोग अगर पानी के लिए उनके स्रोत पर जाते थे तो उन्हें मारा पीटा जाता था। यह सभी विचार उन्होंने एक प्रतिष्ठित मैगज़ीन के कॉन्क्लेव में रखें थे।
उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी के 18 फीसदी लोग भारत में रहते हैं लेकिन हमारे पास पीने के पानी का मात्र 4 फीसदी उपलब्ध है। ऐसे में अगर हम पानी का बंटवारा सही ढंग नहीं करेंगे तो यह संकट गहराता जाएगा और संघर्ष का कारण बनेगा। पानी पर संघर्ष को उन्होंने एक उदाहरण के जरिए प्रस्तुत किया।
पी साईनाथ ने कहा कि जल संकट का एक बड़ा कारण राजनीतिक फैसले भी हैं। सरकार की ओर से अगर पानी को लेकर सही फैसले नहीं किए गए तो जल संकट गहराता जाएगा। इसे उन्होंने कई उदाहरण के जरिए समझाया। उन्होंने कहा कि आप मुंबई से पूणे की ओर जाएंगे तो हाईवे पर आपको बिल्डरों के कई होर्डिंग्स दिखाई देंगे। उनमें से कुछ होर्डिंग्स की तस्वीरें भी उन्होंने दिखाई।
एक बिल्डर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बना रहा है। इसमें उसने दावा किया कि बिल्डिंग के हर फ्लोर पर स्वीमिंग पूल उपलब्ध कराएगा यानी वह फ्लैट में स्वीमिंग पूल बालकनी उपलब्ध कराएगा। सोचिए इसके लिए पानी का कितना मिस यूज होगा। अगर वह इसे बनाने में कामयाब होता है तो इसके लिए वह संबंधित विभाग से क्लीयरेंस लेगा।
इसका मतलब है कि सरकार अगर ऐसा फैसला लेगी तो जल संकट बिल्कुल बढे़गा। उन्होंने कहा कि जल संकट के लिए सरकार को अच्छी प्लानिंग करनी होगी। ऐसा प्लान बनाया जाए कि सबको पानी मिले और इसके लिए सबसे पहले पानी को बेसिक राइट यानी मूल अधिकार के रूप में घोषित करना चाहिए। अगर हमारे पास पानी की जो वर्तमान उपलब्धता है उसका बंटवारा सही हो, अगर हम उसके फिजूल इस्तेमाल से बचें तो जल संकट को कम किया जा सकता है।