आजमगढ़ के हड़हा बाबा मंदिर पर रोज चढ़ता है शराब का चढ़ावा

आजमगढ़ शहर के अन्दर जीवनदायिनी तमसा नदी के पावन तट पर हड़हा बाबा का दिव्य स्थान स्थित है। यहां पर सुबह से रात तक पूजा पाठ का दौर चलता रहता है। पूजा पद्धति भी अलग तरीके की ही होती है। यहां पर प्रसाद में मिठाई या पूड़ी हलवा आदि नहीं चढ़ाया जाता है। बल्कि शराब व मुर्गा का चढ़ावा चढ़ता है। जो मुर्गा चढ़ाया जाता है, वह यहीं पर पकाकर चढ़ाया जाता है और चढ़ाने वाले लोग यहीं पर बैठकर प्रसाद भी ग्रहण करते हैं।
यहां पर पूजा पाठ व चढ़ावा के लिए स्नान आदि करके जाने की भी बाध्यता नहीं है। नींद खुलते ही शराब की शीशी व मुर्गा लिए यहां पहुंचा जा सकता है। शहर के सिधारी थाने के ठीक पीछे यह स्थान होने के और सुबह से लेकर देर रात तक शराब का दौर चलने के बावजूद किसी पुलिसवाले की हैसियत नहीं कि वह यहां दखलअंदाजी करे। पीने के बाद शराबियों की लड़खड़ाती हुई आवाज में हड़हा बाबा के जयकारे से यहां का समूचा वातावरण हमेशा गूंजता रहता है।
हड़हा बाबा के स्थान पर यूं तो रोज मजमा लगा रहता है मगर बुधवार, शुक्रवार व रविवार को काफी गहमा गहमी होती है। इस स्थल के प्रबंधक देवी प्रसाद सैनी व महन्त बाबा अशोक दास मोदनवाल जी महाराज हैं। यह लोग भी हमेशा मदमस्त ही रहते हैं। इन दोनों लोगों के लिए प्रसाद के रूप में इतनी शराब रोज पहुंच जाती है कि इनकी समझ में नहीं आता कि इस शराब का वह क्या करें। प्रबंधक देवी प्रसाद सैनी कहते हैं कि सब बाबा की कृपा है। यहां जो कोई जो भी मुराद लेकर आता है, वह जरूर पूरी होती है। महन्त अशोक दास मोदनवाल जी कहते हैं कि यहां पर कोई चाहे जितनी भी शराब पी ले, वह सही सलामत घर पहुंच जाता है। यही वजह है कि लोगों की आस्था लगातार बढ़ती जा रही है।
कौन थे हड़हा बाबा
हड़हा बाबा कोई सिद्ध सन्त नहीं थे। वह आजमगढ़ शहर के एक मामूली रिक्शा चालक थे। उनका मकान शहर के राहुल नगर मड़या मुहल्ले में था और वह जाति के मल्लाह थे। उनके परिवार मेें और कोई नहीं था। जो कमाते थे, मुर्गा और दारू में उड़ा देते थे। कभी कभार जरूरतमंदों की मदद भी कर देते थेे। अक्सर ही वह तमसा नदी के किनारे इसी स्थान पर आकर शराब पिया करतेे थे जहां पर आज यह मंदिर स्थित है। यहीं पर वह मुर्गा भी पकाकर खाते थे।
उनकेे खाते पीते जो भी शराबी पहुंच जाता वह उसे भी खानेे पीने को दे देते थे। तीन दशक पहले जब उनकी मौत हुई तो उनके मुहल्ले के शराबी मल्लाहों ने उसी स्थान पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया। इसके साथ ही वहां मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे हड़हा बाबा के प्रतीक के रूप में पत्थर की एक प्रतिमा रखकर धर्मस्थली का नाम दे दिया। यहीं पर मुर्गा बनाकर बाबा को चढ़ाने के बाद खाने और उनके नाम पर शराब का चार बूंद गिराने के बाद पीने का चलन शुरू कर दिया। धीरे धीरे इस स्थल का प्रचार प्रसार शुरू हुआ तो शहर के शराबियों का यहां जमघट लगने लगा। इसकी वजह यह रही कि इन शराबियों को यह जगह सबसे सुरक्षित लगी।
भव्य हो गया स्थल
अब तो हड़हा बाबा का यह स्थल काफी भव्य हो गया है। भक्तों ने यहां पर हड़हा बाबा के भव्य मंदिर के साथ ही भगवान भोले शंकर, योगिराज श्रीकृष्ण भगवान, मरी माता आदि का मंदिर बनवा दिया है।
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पिछले दो वर्षों से यहां महिला भक्तों का भी रेला उमड़ता है। यह महिलायें भी मुर्गा बनाकर चढ़ाती हैं और शराब का दो चार बूंद पी लेती हैं। पुरूष भक्त तो छककर पीते हैं।
एमएलसी ने बनवाया रैन बसेेरा
मंदिर तो यहां जुटने वाले भक्तों ने बनवा दिया है। बड़े बड़े रईस भक्त भी हो गए हैं। इसलिए अब यहां किसी सुविधा का अभाव नहीं रह गया है। इन बड़े भक्तों में सपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य कमला प्रसाद यादव भी शामिल हैं।
जब वह एमएलसी थे तो उन्होंने अपनी निधि से भव्य रैन बसेरा बनवा दिया। ऐसेे में अब गर्मी व बरसात में भी यहां आकर खाने-पीने वाले भक्तों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।
क्या कहते हैं हड़हा बाबा के भक्त
आजमगढ़ के युवा पत्रकार अभिषेक सिंह विपुल हड़हा बाबा के बड़े भक्त हैं। पिछलेे दस साल से एक भी ऐसा रविवार नहीं रहा जिस रविवार कोे वह यहां जाकर शराब व मुर्गा का चढ़ावा न चढ़ाए हों। उनका मानना है कि यहां मांगी गई सब मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। रोजी रोजगार में बरकत होती है। वह पढ़ने में काफी कमजोर थे मगर हड़हा बाबा की कृपा से हाई स्कूल में पास हो गए। वह कहते हैं कि वह पत्रकारिता के साथ अपना बिजनेस भी शुरू किए। हड़हा बाबा की कृपा से वह भी बेहतर चल निकला।