मुबारकपुर के 46 मृतकों के परिजनों को फूटी कौड़ी भी नहीं

जहरीली शराब पीकर मरने वालों का वास्तव में कोई कसूर नहीं होता। वह भी उसी तरह के शराब उपभोक्ता हैं, जैसे अंग्रेजी पीने वाले। अगर शराब जहरीली निकले तो सज़ा जहरीली शराब बनाने वाले को मिलनी चाहिए। लेकिन अक्सर होता ये है कि जो मरा उसके साथ सहानुभूति के बजाए उसे ही दोषी मानकर मामला ठंडा पड़ जाता है।
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पिछले दिनों रौनापार व जीयनपुर में जहरीली शराब पीकर मरने वाले करीब तीन दर्जन लोगों में से 21 को शराब से मौत होना मानकर प्रदेश की सरकार ने उनके आश्रितों को सवा दो सवा दो लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी है मगर वर्ष 2013 में मुबारकपुर इलाके में जो 46 लोग जहरीली शराब पीकर मर गए उनके आश्रितों को फूटी कौड़ी भी नसीब नहीं हुई। मुबारकपुर में जो लोग मरे थे वह किस हाल में थे और आज उनके परिजन किस हाल में हैं इसको पेश करती विशेष रिपोर्ट की दूसरी किस्त।
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प्यारेपुर चकिया गांव
मुबारकपुर इलाके का प्यारेपुर चकिया गांव। यहां जहरीली शराब से दो लोगों की मौत हुई थी। इन दोनों में शिवबचन राजभर पुत्र दुब्बर व राजकुमार राजभर पुत्र बल्ली राजभर शामिल थे। दोनों की उम्र 45 वर्ष के लगभग की थी। शिवबचन गारामाटी करता था। खेती बारी के नाम पर कुछ भी नहीं। वह अपनी बेवा उर्मिला के ऊपर पांच लड़कियों व एक लड़के के परवरिश की जिम्मेदारी छोड़ गया। उसका दुख भी औरों की तरह ही गाढ़ा है। राजकुमार की बेवा कमली की कहानी भी इनसे कुछ अलग नहीं है। तीन लड़की व तीन लड़के हैं। कहने लगी अपने त सिधरी की नाईं उलटि गइलैं, परिवार कैसे चलीए इ भी ना सोचलैं।
अछूता नहीं रहा नरांव
मुबारकपुर इलाके के दर्जन भर से अधिक गांव के लोगों में मौत बांटने वाला नरांव गांव खुद भी इस त्रासदी से अछूता नहीं रहा था। कुल चार मौतें हुई थी इस गांव में। पहली मौत अधिराज चैहान उम्र 55 वर्ष पुत्र मुनेश्वर चैहान की हुई थी। तीन लड़कियां व तीन लड़कों का पिता था वह। मजदूरी करके परिवार का पेट पालता था। दूसरी मौत छड्ढू उम्र 50 वर्ष पुत्र पिल्लू चैहान की हुई। उसके चार लड़कियां व एक लड़का है। वह भी गारामाटी करके परिवार चला रहा था। रामबली चैहान पुत्र बिजुल चैहान की उम्र अभी 18 साल ही थी। विवाह नहीं हुआ था। उसे लेकर मां बाप ने कितने सपने देखे थे। सब रेत के घरौंदे की तरह एक झोंके में उड़ गए। बाबूलाल का बेटा फौजदार 22 साल का था। हादसे के एक साल पहले ही उसकी शादी हुई थी। बाबूलाल गांव में ही चाय की दुकान चला रहे थे और फौजदार फर्नीचर का काम सीख रहा था। सब खत्म हो गया। फौजदार की मौत ने बाबूलाल की कमर ही तोड़ दी। शराब माफियाओं का गांव होने के कारण मौत के बाद भी उनके परिजनों को शराब माफियाओं की ज्यादती का शिकार होना पड़ा। मौत की घटना को दबाने छुपाने के लिए इन शराब माफियाओं ने आनन फानन में मृतकों के शव फुंकवा दिए। पोस्टमार्टम भी नहीं होने दिए। इसके अलावा इस गांव में एक मौत जनार्दन की भी हुई थी। वह इस गांव का दामाद और मृत रामबली का जीजा था। जनार्दन चालीसवां गांव का रहने वाला था। रामबली की बूढ़ी मां की आंखों के आंसू अभी तक नहीं सूखे हैं। अभागन ने एक ही झटके में अपना बेटा व दामाद दोनों खो दिया था।
मुबारकपुर का ओझौली गांव
ओझौली का त्रिभुवन उम्र 55 वर्ष पुत्र हरदेव चार लड़की व दो लड़कों का पिता था। घर में करघे थे। पूरा परिवार करघे पर काम करता था। सब मिलाकर खाता पीता परिवार था। उसने किसी ठीहे पर बैठकर शराब नहीं पी थी। उसने रोज की तरह घर पर लाकर शराब पी थी। त्रिभुवन की बेवा विद्यावती बताती है कि, कहने लगे कि आज की शराब का स्वाद बहुत कड़वा है। कल उसे डांटना पड़ेगा कि अब ऐसी शराब मत देना। कहते कहते वह पति की स्मृतियों में खो गयी। कहने लगी…… खुद ही चले गये…. सब कुछ छोड़कर किसी से शिकायत क्या करेंगे। इसी गांव के महेन्द्र पुत्र केरा अपने घर के बरामदे में चारपाई पर लेटा था। शराब ने उसकी आंखों से रोशनी छीन लिया है। महेन्द्र की तीन लड़कियां व दो लड़के हैं। आंखें थी तो ठेला चलाकर सबका पेट पालता था। अब कैसे चल रहा है, के सवाल पर उदास व गहरे दर्द में डूब जाता है। कहता है, मालिक हैं, वही सब देख रहे हैं। कुछ देर शांत रहने के बाद रूंआसा होकर कहता है,,,,कहने को तो सात सगे भाई हैं, सब अलग अलग रहते हैं, कभी चवन्नी की भी मदद नहीं की। घटना के बाद विधायक मरने वालों के घर पहुंचे थे, उनके परिजनों को पांच पांच हजार रूपये की मदद दिये, इस जिन्दा लाश को वह भी नहीं पूछे। मोहन उम्र 32 वर्ष पुत्र पवारू गोड़ को भी यह जहरीली शराब लील गई। उसके परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा व दो बेटियां हैं। वह मजदूरी करके परिवार का पेट पालता था, अब यह जिम्मेदारी उसकी पत्नी पर आ गई है। इसी गांव का रामदयाल राजभर शराब बेचता था। वह और उसके इकलौते बेटे प्रकाश ने साथ ही दारू पिया। दोनों मर गए। प्रकाश के तीनों बहनों की शादी हो चुकी है। अब घर पर दोनों विधवा सास बहू ही एक दूसरे का आंसू पोंछने के लिए रह गई हैं। इसके अलावा गरीबी के साथ साथ घर में प्रकाश के दो छोटे बेटे व एक बेटी भी है। गरीबी के कारण सास बहू मजदूरी व गोबर पाथने का काम करती हैं।
कई गांव के लोग चढ़े शराब की भेंट
कौडिया गांव के मनोज उम्र 50 वर्ष पुत्र रघुवीर राम, गड़ेरूआ गांव के जालन्धर उम्र 32 वर्ष पुत्र मोतीलाल व मोतीलाल उम्र 55 वर्ष पुत्र मरछू, अमिलो भगतपुरा के राजेन्द्र राम उम्र 45 वर्ष पुत्र जीतन राम की इहलीला भी शराब के भेंट चढ़ गई। अमिलो भरउटी के मंगल पटवा उम्र 55 वर्ष पुत्र शिवनाथ पटवा ठेला चलाते थे। वह अकसर ही गांव के बाहर बने शिवमंदिर पर सो जाते थे। उस दिन भी ऐसा ही हुआ था। मंदिर पर सोने वाले दूसरे लोगों ने उसके परिवार वालों को बताया था कि भयानक पीड़ा हुई थी उसे। मंदिर का पिलर कसकर पकड़ लिया था पीड़ा के कारण। शरीर ऐंठ गया। तड़प तड़पकर प्राण निकले थे उसके।
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मंदिर पर सोने का कारण पूछने पर मंगल की बहू बताने लगी कि घर में जगह ही कहां थी। उन दोनों बहुओं के लिए ईंट की दीवार बनाकर किसी तरह टिनशेड डाले थे। ऐसे तैसे मुश्किल से परिवार का खर्च चल जा रहा था। चकिया गांव के दुक्खी उम्र 50 वर्ष पुत्र घुरहू को भी शराब लील गई। दो लड़कियां व दो लड़के हैं। दोनों लड़के अब मुम्बई में रहकर मजदूरी करने लगे हैं। आजादनगर के मोहम्मद मुबीन उम्र 60 वर्ष पुत्र अब्दुल मजीद व देवली के मोहम्मद रजा उर्फ ताऊ उम्र 45 वर्ष पुत्र मोहम्मद ताहिर भी यही जहरीली शराब पीकर मर गए। दोनों के पांच पांच संतानें हैं और दोनों ही मजदूरी करके परिवार का पेट पालते थे। रजा के मौत के समय उसकी पत्नी पेट से थी। बाद में बेटा हुआ। देवली गांव के मजदूर मोहम्मद मारूफ उम्र 60 वर्ष पुत्र जग्गी की जिन्दगी भी शराब निगल गई। इसके अलावा लोहरा सहित मुबारकपुर इलाके के कई अन्य गांवों में भी इस शराब ने नरबलि ली। सब मिलाकर जहरीली शराब पीकर मरने वाले मजदूर तबके के थे और आज उनके आश्रित मुफलिसी की जिन्दगी जी रहे हैं। बावजूद इसके अब तक की सरकारें मौन रही हैं और इनको मदद के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं मिल सकी हैं।